मानसिक स्वास्थ्य
मानसिक स्वास्थ्य से आशय 'मानव का अपने व्यवहार में सन्तुलन' से है। यह सन्तुलन प्रत्येक अवस्था में बना रहना चाहिए। इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति की एक दशा एवं लक्षण है।
मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषाएँ
मानसिक स्वास्थ्य की निम्नलिखित परिभाषाएँ हैं
हैडफील्ड के अनुसार, "मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का पूर्ण सामंजस्य के साथ कार्य करना है अर्थात् सम्पूर्ण व्यक्तित्व की पूर्ण एवं सन्तुलित क्रियाशीलता को मानसिक स्वास्थ्य कहते हैं।”
लैडेल के अनुसार, "मानसिक स्वास्थ्य से अभिप्राय वास्तविकता के धरातल पर वातावरण से पर्याप्त समायोजन करने की योग्यता है।" आर. सी. कुल्हन के अनुसार, "मानसिक स्वास्थ्य एक उत्तम समायोजन है, जो भग्नाशा से उत्पन्न तनाव को कम करता है तथा भग्नाशा उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में रचनात्मक परिवर्तन करता है। "
कुप्पू स्वामी के अनुसार, "मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ दैनिक जीवन में भावनाओं, इच्छाओं, महत्त्वाकांक्षाओं एवं आदर्शों में सन्तुलन बनाए रखने की योग्यता है। इसका अर्थ जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने तथा उनको स्वीकार करने की योग्यता है।"
मानसिक स्वास्थ्य के उद्देश्य
मानसिक स्वास्थ्य के उद्देश्य निम्नलिखित हैं अधिकतम प्रभावोत्पादकता और सन्तुष्टि।
जीवन की वास्तविकताओं को स्वीकार करना।
व्यक्तियों का आपसी सामंजस्य
मानसिक स्वास्थ्य के निम्नलिखित तीन पक्ष हैं
प्रत्येक व्यक्ति को उसकी मानसिक प्रवृत्तियों, क्षमताओं, शक्तियों तथा अर्जित क्षमताओं को प्रकट करने का अवसर मिलना चाहिए।
व्यक्ति की क्षमताओं में पारस्परिक समायोजन स्थापित होना चाहिए। व्यक्ति की समस्त प्रवृत्तियाँ एवं कार्य, किसी उद्देश्य की ओर सक्रिय होने चाहिए।
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण
स्व-मूल्यांकन की योग्यता का होना।
समायोजनशीलता का गुण पाया जाना।
आत्मविश्वास से पूर्ण होना या आत्मविश्वास की अधिकता।
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारण हैं
1. वंशानुक्रमणीय कारण कुछ मानसिक रोग वंशानुक्रमित रोग होते हैं।
2. शारीरिक कारण शारीरिक रोगों का कारण मानसिक रोग होते हैं।
3. पारिवारिक कारण बालक को परिवार में प्यार-दुलार एवं उत्तम पोषक आहार न मिलने के कारण भी आगे चलकर वह मानसिक रोगी हो जाता है।
4. आर्थिक कारण परिवार की आर्थिक स्थिति भी मानसिक अस्वस्थतता का प्रमुख कारण है।
5. सामाजिक कारण परिवार, पड़ोस तथा समाज में आदर-सम्मान न मिलने पर भी व्यक्ति स्वयं को महत्त्वहीन समझने लगता है और मानसिक रोग से ग्रसित हो जाता है।
6. संवेगात्मक कारण संवेगों का उचित विकास न होना भी मानसिक रोगों का कारण
7. सांस्कृतिक एवं आकस्मिक कारण सामाजिक सामंजस्य स्थापित न होना तथा आकस्मिक घटनाएँ भी व्यक्ति को मानसिक रोगी बना देती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी एवं आवश्यकता मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी अच्छी शिक्षा के लिए निम्नलिखित प्रकार से सहायक हो सकती है
• इससे शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों को अपनी-अपनी परिस्थितियों से अनुकूलन स्थापित करने में सहायता प्राप्त होती है।
• यह विद्यार्थी के व्यक्तित्व के सभी पक्षों के समुचित विकास में सहायता प्रदान करता है।
मानसिक स्वास्थ्य का महत्त्व
• स्वास्थ्य विज्ञान की मान्यताओं के अनुसार, पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है, जो शारीरिक एवं संवेगात्मक रूप से स्वस्थ हो ।
• शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्त है।
• मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति आत्मविश्वासी, उत्साही, चिन्ता एवं संघर्ष से रहित, आत्मनियन्त्रित एवं संवेगात्मक रूप से स्थिर होता है।
• वह मानसिक तनाव, हताशा आदि को सहन करते हुए सहज भाव से जीवनयापन करता है। अतः मानसिक स्वास्थ्य का ठीक होना, प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
बालक के मानसिक स्वास्थ्य में परिवार की भूमिका
फ्रैण्डसन के अनुसार, "परिवार बालक को मानसिक स्वास्थ्य या असमायोजन की दिशा में अग्रसर करता है।" बालक के मानसिक स्वास्थ्य में माता-पिता की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। बालक के मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी पारिवारिक भूमिका निम्न प्रकार की होनी चाहिए
1. माता-पिता का मानसिक स्वास्थ्य बालक का मानसिक सन्तुलन तभी स्वस्थ होगा, जब माता-पिता भी मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे तथा बालक का सहयोग करेंगे।
2. विकास की उत्तम दशा 6 से 7 वर्ष की अवस्था बालक में आत्मविश्वास, स्वतन्त्रता और दायित्व की भावना का विकास होता है, यह तभी सम्भव है, जब परिवार में इनके विकास की उत्तम दशाएँ। प्राप्त हों।
3. परिवार का वातावरण बालक के उत्तम मानसिक स्वास्थ्य परिवार का शान्तिपूर्ण वातावरण के विकास में सहायक होता है।
4. माता-पिता का सद्व्यहार बालकों के प्रति माता-पिता का अच्छा व्यवहार बालक के मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति में आवश्यक होता है. अन्य उपाय बालकों के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत बनाने के लिए माता-पिता को अनेक कार्य करने होते हैं, जैसे- बालक की स्थिति एवं व्यक्तित्व को समझना, शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक एवं नैतिक विकास जैसे तत्त्वों को उचित दिशा प्रदान करना आदि। बालक की रुचियों एवं मानसिक योग्यताओं के लिए उचित अवसर प्रदान करना, समस्या समाधान में उचित निर्देशन आदि बालक को परिवार द्वारा प्रदान किया जाना चाहिए।
बालक के मानसिक स्वास्थ्य के विकास में विद्यालय (शिक्षक) की भूमिका
स्वास्थ्य विज्ञान की मान्यताओं के अनुसार, पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है, जो शारीरिक एवं संवेगात्मक रूप से स्वस्थ हो। शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य में घनिष्ठ सम्बन्ध है। मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य , मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्त है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति आत्मविश्वासी, उत्साही, चिन्ता एवं संघर्ष से रहित, आत्मनियन्त्रित एवं संवेगात्मक रूप से स्थिर होता है।
वह मानसिक तनाव, हताशा आदि को सहन करते हुए सहज भाव से जीवन यापन करता है। अतः मानसिक स्वास्थ्य का ठीक होना, प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
व्यवहार सम्बन्धित समस्याएँ
बालकों में मानसिक अस्वस्थता में व्यवहार सम्बन्धित समस्याएँ निम्नलिखित हैं
मानसिक रूप से अस्वस्थ बालक प्राय: द्वन्द्व, तनाव, दुचिंता, कुण्ठा अवसाद आदि से ग्रस्त रहता है। ऐसे बालक में आत्मविश्वास एवं सहनशीलता की कमी होती है।
मानसिक अस्वस्थता के कारण बालकों में संवेगात्मक परिपक्वता नहीं होती तथा वह अपने संवेगों पर नियन्त्रण नहीं रख पाते। बालकों में आत्म-नियन्त्रण, निर्णय लेने तथा लैंगिक परिपक्वता की कमी होती है।
बालकों में मानसिक तनाव, हताशा आदि को सहन करने की शक्ति नहीं होती तथा सन्तुलित व्यक्तित्व सम्बन्धित आत्म-मूल्यांकन का गुण का अभाव होता है। शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य में धनात्मक सह-सम्बन्ध पायाजाता है। इसलिए सामान्यतः यह देखा गया है कि मानसिक अस्वस्थता बालक के शारीरिक विकास को भी प्रभावित करती है। मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चे अपने आप में लीन रहने वाले तथा काल्पनिक प्रवृत्ति से ग्रसित होते हैं। अतः वे सामाजिक सम्बन्धों को समझने तथा सामाजिक समायोजन में कठिनाई अनुभव करते हैं।
मानसिक अस्वस्थता के कारण ये बालक प्राय: सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं, जिसके कारण वे तनाव ग्रसित रहते हैं, जिसे दूर करने के लिए वे नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।
मानसिक रूप से अस्वस्थ बालक अपनी योग्यता, क्षमता एवं उपलब्धियों से असन्तुष्ट रहते हैं, जिसके कारण वे सामान्य एवं सुखपूर्वक जीवन नहीं जी पाते। कई बार मानसिक अस्वस्थता की स्थिति इतनी गम्भीर हो जाती है। कि ग्रसित बालक बाल अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और सीखने में सफलता का सम्बन्ध
• मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति का जीवन के प्रति सकारात्मक एवं सन्तुलित दृष्टिकोण होता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति प्रत्येक कार्य को पूरी निष्ठा, उत्साह, लगन एवं आत्मविश्वास के साथ करता है। इन्हीं गुणों के कारण वह सीखने की प्रक्रिया के प्रति जागरूक रहता है तथा सीखने के लिए यथासम्भव प्रयास भी करता है, जबकि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति में आत्मविश्वास, निष्ठा, लगन आदि गुणों का विकास नही हो पाता, इसलिए वह कार्य को सही ढंग से नहीं कर पाता। इस प्रकार 'मानसिक स्वास्थ्य' एवं 'सीखने में सफलता के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।
Written By - Himanshu Sharma
External Support :- Ritik Rathor