संख्याएँ
संख्या (Number) वह अंकगणितीय मान है, जिसे हम शब्द, प्रतीक ( अंक) एवं आकृति के द्वारा व्यक्त करते हैं। इसका उपयोग हम गणना, मापन आदि के लिए करते हैं। संख्याओं को मुख्यतः दो प्रणालियों द्वारा लिखा जा सकता है जो निम्नलिखित हैं
1. दाशमिक प्रणाली (Decimal System) किसी भी संख्या को लिखने के लिए हम 10 संकेतों/अंकों 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9 का प्रयोग करते हैं, जो भारतीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर मान्य हैं।
2. संख्यांकन प्रणाली (Numeration System) संख्यांकन प्रणाली निम्न दो प्रकार की होती हैं
(i) भारतीय प्रणाली (Indian System) भारतीय प्रणाली को हिन्दू-अरेबिक प्रणाली भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत हम एक (1000) से अधिक संख्याओं के विस्तारित रूप को आसानी से समझ सकते हैं।
(ii) अन्तर्राष्ट्रीय प्रणाली (International System) यह प्रणाली विश्व में सर्वाधिक प्रचलित है। इसे ब्रिटिश प्रणाली भी कहा जाता है। सारणी 1 में लिखी गई संख्या को इस प्रणाली द्वारा पढ़ने के लिए साधारणतया समूह के सभी अंकों को एकसाथ पढ़ते हैं और आवर्त का मान इकाइयों को छोड़कर सभी के साथ पढ़ा जाता है।
रोमन संख्यांक प्रणाली तथा हिन्दू-अरेबिक प्रणाली में सम्बन्ध
रोमन संख्यांक प्रणाली और हिन्दू-अरेबिक प्रणाली में सम्बन्ध निम्न प्रकार है
अंकों के मान
किसी भी संख्या के प्रत्येक अंक के निम्न दो मान होते हैं
1. वास्तविक मान (Face Value) -किसी अंक का वह मान, जो कभी नहीं बदलता, वास्तविक मान कहलाता है। इसे जातीय मान, अंकित मान अथवा शुद्ध मान भी कहते हैं। जैसे- संख्या 2569 में अंक 5 का जातीय मान 5 है तथा 9 का जातीय मान 9 है।
2. स्थानीय मान (Place Value) - किसी अंक का वह मान, जो उसके स्थान- विशेष के कारण बदल जाता है, स्थानीय मान कहलाता है। जैसे- संख्या 2569 में अंक 5 का स्थानीय मान 500 तथा अंक 9 का स्थानीय मान 9 है।
संख्याओं के प्रकार संख्याओं के विभिन्न प्रकार निम्नवत् हैं
1. प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers) गणना करते समय प्रयोग में आने वाली सभी संख्याएँ प्राकृत संख्याएँ होती हैं, परन्तु इसमें शून्य (0) शामिल नहीं है। जैसे- 1, 2, 3, 4, 5, ...., आदि।
2. पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers) यदि प्राकृत संख्याओं में शून्य (0) को भी सम्मिलित कर लिया जाए, तो ऐसी संख्याओं का समूह पूर्ण संख्याओं का समूह कहलाता है। जैसे- 0, 1, 2, 3, ..., आदि। 3. पूर्णांक (Integers) प्राकृत संख्याएँ, उनकी ऋणात्मक संख्याएँ तथा शून्य को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, पूर्णांक कहलाती है।
इसे 'T' से प्रदर्शित करते हैं। जैसे- -3,-2-1, 0, 1, 2, 3,...
4. सम संख्याएँ (Even Numbers) ऐसी संख्याएँ, जो 2 से पूर्णतया विभाजित हो जाएँ, सम संख्याएँ कहलाती हैं। जैसे- 2, 4, 6, 8, 10, 12, , आदि।
5.विषम संख्याएँ (Odd Numbers) ऐसी संख्याएँ, जो 2 से पूर्णतया विभाजित न हो, विषम संख्याएँ कहलाती हैं। जैसे- 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, .... आदि।
6. भाज्य तथा अभाज्य संख्याएँ (Composite and Prime Numbers) जिन संख्याओं के 2 से अधिक गुणनखण्ड हों, भाज्य संख्याएँ कहलाती हैं तथा जिन संख्याओं के केवल 2 गुणनखण्ड, 1 तथा स्वयं वह संख्या ही हों, अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं। जैसे- 4, 9, 15, 25, 30, ... आदि भाज्य संख्याएँ हैं तथा 2, 3, 5, 7, 11, 13,... आदि अभाज्य संख्याएँ हैं।
7. परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers) वे सभी संख्याएँ, जिन्हें P के q रूप में व्यक्त किया जा सके, परिमेय संख्याएँ कहलाती हैं; जहाँ p वq पूर्णांक हैं तथाq # 01 जैसे- 7, 7 5 1 3 आदि।
8. अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) वे सभी संख्याएँ, जिन्हें के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता, अपरिमेय संख्याएँ कहलाती हैं, जहाँ p वq पूर्णांक हैं तथा q # जैसे- √2, √5, √7 आदि।
9. उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्याएँ (Successor Numbers) किसी भी प्राकृत संख्या से ठीक अगली प्राकृत संख्या उसकी उत्तरवर्तीीं या अनुवती संख्या कहलाती है। किसी भी प्राकृत संख्या में 1 जोड़कर उसकी उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्या प्राप्त की जा सकती है। जैसे- संख्या 11 की उत्तरवर्ती संख्या (11+1) अर्थात् 12 होगी।
10. पूर्ववर्ती संख्याएँ (Predecessor Numbers) किसी भी प्राकृत संख्या से ठीक पहली प्राकृत संख्या उनकी पूर्ववर्ती संख्या कहलाती है। किसी भी प्राकृत संख्या में से 1 घटाकर उसकी पूर्ववर्ती संख्या प्राप्त की जा सकती है।
जैसे- संख्या 20 की पूर्ववर्ती संख्या (20 – 1) अर्थात् 19 होगी।
1.संख्या के अंक द्वि-अंकीय संख्याए (Two-digit Numbers) यदि किसी संख्या का दहाई का अक तथा इकाई का अंक y हो, तो द्विअंकीय संख्या 10x + y होगी।
(i) जब किसी प्रश्न में अंकों का योग कहा जाए, तो इसका अर्थ है – + y (जहाँ, x दहाई का अंक तथा y इकाई का अंक है) y
(ii) जब प्रश्न में “संख्या के अंक परस्पर पलट दिए जाएँ अथवा बदल दिए जाएँ" कहा जाए, तो इसका अर्थ होता है कि. x, y के स्थान पर आ जाता है और y, x के स्थान पर संख्या 87 में यदि अंकों के स्थान बदल दिए जाएँ, तो नई संख्या 78 हो जाएगी।
(iii) नई संख्या में हुआ परिवर्तन, मूल संख्या के अन्तर से ज्ञात कर लेते हैं यहाँ मूल संख्या 87 है। तब नई संख्या 78 होगी। अत: अभीष्ट अन्तर 87 – 78 = 9 अर्थात् नई संख्या मूल संख्या से 9 कम है। अत: इस प्रकार के प्रश्नों में अंकों को x और y मानकर उपरोक्त विधि के अनुसार, द्विअंकीय संख्या वाली समस्याओं को आसानी से हल कर सकते हैं।
2. अंकीय बड़ी से बड़ी संख्या (n-digit Greatest Number) बड़ी से बड़ी संख्याओं में n का जितना मान हो उतनी ही बार 9 अंक लिखा जाता है।
जैसे- 5 अंकीय बड़ी से बड़ी संख्या = 99999
3. अंकीय छोटी-से-छोटी संख्या (n-digit Lowest Number) - छोटी-से-छोटी संख्या में सर्वप्रथम 1 लिखकर (n - 1) बार शून्य लगाते हैं। जैसे- 5 अंकीय छोटी-से-छोटी संख्या = 10000
संख्याओं की विभाज्यता की जाँच संख्या की विभाज्यता की जाँच (Test of Divisibility of Numbers) निम्न प्रकार से की जा सकती हैं
2 से विभाज्यता यदि इकाई का अंक 0 या सम संख्या हो । जैसे— 12, 240, 148 आदि सभी संख्याएँ 2 से विभाजित हैं।
3 से विभाज्यता यदि दी गई संख्या के सभी अंकों का योगफल 3 से विभाजित हो।
जैसे- 465 (अंकों का योग = 4+6+5 =15) तथा 1338 (अंकों का योग = 1+3+3+ 8 =15) आदि संख्याओं के अंकों का योग 3 से विभाजित है। अतः ये संख्याएँ 3 से विभाजित हैं।
4 से विभाज्यता यदि दी गई संख्या के अन्तिम दो अंकों से मिलकर बनी संख्या 4 से विभाजित हो । जैसे- 156764 के अन्तिम दो अंकों से मिलकर बनी संख्या 64, 4 से विभाजित है। अत: संख्या 156764, 4 से विभाजित है।
5 से विभाज्यता यदि इकाई का अंक 0 या 5 हो। जैसे- 695270 तथा 587765 दोनों 5 से विभाजित होंगी, क्योंकि दोनों संख्याओं का इकाई का अंक या तो 0 है या फिर 5 है।
6 से विभाज्यता यदि संख्या 2 तथा 3 दोनों से विभाजित हो । जैसे- 36912, 2 से विभाजित हैं, क्योंकि इसका इकाई का अंक 2 है। तथा यह 3 से भी विभाजित है, क्योंकि इसके अंकों का योग 21 है। अतः संख्या 36912, 6 से विभाजित होगी।
7 से विभाज्यता कोई भी संख्या 7 से तभी विभाजित होगी, जब संख्या के अन्तिम अंक का दोगुना करके उसे शेष अंकों से बनी संख्या में से घटाया जाए और इससे प्राप्त शेषफल यदि 7 से भाज्य हो या फिर 0 हो। जैसे- 2429
चरण 1: 242 - 2 x 9 = 242-18 = 224 चरण II: 22- 2x4 = 22-8 = 14
(उपरोक्त प्रक्रिया पुनः दोहराने पर ) चूँकि 14, 7 से विभाजित है, अत: संख्या 2429, 7 से विभाजित होगी।
8 से विभाज्यता यदि दी गई संख्या के अन्तिम तीन अंकों से मिलकर बनी संख्या 8 से विभाजित हो । जैसे- 257192 के अन्तिम तीन अंकों से मिलकर बनी संख्या 192, 8 से विभाजित है। अतः संख्या 257192, 8 से विभाजित होगी।
9 से विभाज्यता यदि दी गई संख्या के सभी अंकों का योगफल 9 से विभाजित हो।
जैसे- 29034, 9 से विभाजित है, क्योंकि इसके अंकों का योग 2+9+0+3+4=18, 9 से विभाजित है।
10 से विभाज्यता यदि इकाई का अंक 0 हो ।
जैसे- 1987650, 10 से विभाजित होगी, क्योंकि इसमें इकाई का अंक 0 है।
11 से विभाज्यता दी गई संख्या के सम स्थानों तथा विषम स्थानों के अंकों के अलग-अलग योगफलों का अन्तर यदि 0 हो या 11 का गुणज हो। जैसे- 7127362
दशमलव संख्याएँ :-ऐसी संख्याएँ, जिनका हर 10 या 10 की घात में हो, दशमलव संख्याएँ (Decimal Numbers) कहलाती हैं।
जैसे— 15 10 225 1125 = 1.5, = 2.25, = 1.125 आदि। 100 1000
अन्य शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि प्राकृतिक संख्याओं को 10 या 10 की किसी भी घात से भाग देने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, उन्हें दशमलव संख्याएँ कहते हैं।
Written by :- Himanshu Sharma
External Support :- Ritik Rathor